दुनिया के पहले डेड हार्ट ट्रांसप्लांटेशन के अग्रणी डॉ. कुमुद कुमार धीतल यशोदा हॉस्पिटल्स हैदराबाद से जुड़े

वे इंस्टीट्यूट ऑफ हार्ट एंड लंग ट्रांसप्लांटेशन के प्रोग्राम और सर्जिकल डायरेक्टर हैं

हैदराबाद. तेलंगाना राज्य में यशोदा हॉस्पिटल्‍स हैदराबाद एक मल्टी स्पेशिएलिटी ग्रुप है और यह अस्‍पताल विविध चिकित्सा आवश्यकताओं वाले लोगों को 3 दशकों से गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रहा है। अस्पताल प्रबंधन ने डॉ. कुमुद कुमार धीतल के अपने साथ जुड़ने की घोषणा की है जो अब समूह के लिए इंस्टीट्यूट ऑपु हार्ट एंड लंग ट्रांसप्‍लंटेशन का नेतृत्व करेंगे।

डॉ. कुमुद कुमार धीतल यशोदा इंस्टीट्यूट ऑफ हार्ट एंड लंग ट्रांसप्लांटेशन एंड मैकेनिकल सर्कुलेटरी सपोर्ट (एमसीएस) के एक प्रोग्राम और सर्जिकल डायरेक्टर के रूप में अपनी सेवायें देंगे। वे यशोदा हार्ट एंड लंग ट्रांसप्लांट प्रोग्राम के लिए पल्मोनरी एन्डर्टरेक्टमी में क्रोनिक थ्रोम्बो-एम्बोलिक पल्मोनरी उच्च रक्तचाप के मरीजों के लिए पूरी तरह से अतिरिक्‍त प्रैक्टिस के प्रति समर्पित रहेंगे।

डॉ. कुमुद धीतल दुनिया के पहले डोनेशन आफ्टर सर्कुलेटरी डेथ (डीसीडी) यानी डेड हार्ट ट्रांसप्लांटेशन के लिए सुदूर स्थानों से प्राप्त होने वाले डोनर ऑर्गन के सर्जिकल अग्रणी होने के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। वर्ष 2014 में वे ऑस्ट्रेलिया में सिडनी के सेंट विंसेंट हॉस्पिटल में प्रिंसिपल सर्जन थे जिन्होंने शुरुआती अंग की पुनर्प्राप्ति और डीसीडी हार्ट ट्रांसप्लांट प्रक्रियाओं के लिए टीमों का नेतृत्व किया था।

इस प्रक्रिया को पिछले 3 दशकों में हृदय प्रत्यारोपण में सबसे महत्वपूर्ण पद्धति के रूप में वर्णित किया गया है और बाद में इसे यूनाइटेड किंगडम और कुछ यूरोपीय हृदय प्रत्यारोपण केंद्रों द्वारा अपनाया भी गया था। कई अमेरिकी हृदय प्रत्यारोपण केंद्रों ने इन शल्य प्रक्रियाओं को 2019 के अंत में शुरू किया। डॉ. कुमुद धीतल वर्ष 2006 के बाद से थोरेसिक डोनर ऑर्गन्स के मशीन परफ्यूजन में शामिल रहे। ऑस्ट्रेलिया में वे मानक ब्रेन-डेड और डीसीडी फेफड़ा प्रत्यारोपण का काम मानक कोल्ड-स्टेटिक संरक्षण के साथ करते रहे हैं।

जब उनसे पूछा गया कि वे भारत क्यों आ गए, तो डॉ. कुमुद धीतल ने भारत में थोरेसिक प्रत्यारोपण की संख्या बढ़ाने में योगदान की चुनौती और उत्साह का हवाला दिया जहां वर्तमान संख्या कुल 5 प्रतिशत से कम है। उन्होंने कहा कि वे अपने बहु-अनुशासनात्मक सहयोगियों की प्रतिभा को महसूस करते हैं और देश में तकनीकी प्रगति और आवश्यक कॉर्पोरेट समर्थन भारत में हृदय और फेफड़ों के प्रत्यारोपण में तेजी से वृद्धि करने के लिए एक सही मिश्रण हैं।

वे कहते हैं, “मैं उस क्षेत्र में वापस आना चाहता था जहां से मैं ताल्लुक रखता हूं और अपने रोगियों को सबसे बुरे समय से बाहर निकालने में उनकी सेवा करने का सौभाग्य महसूस करना चाहता हूं।”

डॉ. कुमुद धीतल नेपाली मूल के हैं। उनका जन्मे इटली में हुआ और यूनाइटेड किंगडम में उन्होंने अपनी पढ़ाई की। डॉ धीतल को कार्डियोथोरेसिक सर्जरी में 24 साल का अनुभव है। अपने करियर में उन्होंने 18 साल तक यूके, इटली और ऑस्ट्रेलिया में हार्ट एवं लंग ट्रांसप्लांटेशन और एमसीएस थेरेपी की है।

उनका गहन अनुभव उन्हें कार्डिएक और थोरेसिक दोनों सर्जरीज में व्यापक सर्जिकल सेवाएं प्रदान करने की अनुमति देता है। डॉ. धीतल दिल और फेफड़ों की जटिल सर्जरी में भी शामिल होंगे जिसमें दिल और फेफड़ों की दोबारा होने वाली और सुधारात्मक सर्जरी शामिल हैं।

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